रविवार, 15 जनवरी 2012

राष्ट्र का सेवक


रा
ष्ट्र के सेवक ने कहादेश की मुक्ति का एक ही उपाय है और वह है नीचों के साथ भाईचारे का सुलूक, पतितों के साथ बराबरी को बर्ताव। दुनिया में सभी भाई हैं, कोई नीचा नहीं, कोई ऊंचा नहीं।
     दुनिया ने जयजयकार कीकितनी विशाल दृष्टि है, कितना भावुक हृदय !
     उसकी सुन्दर लड़की इन्दिरा ने सुना और चिन्ता के सागर में डूब गयी।
     राष्ट्र के सेवक ने नीची जात के नौजवान को गले लगाया।
     दुनिया ने कहायह फ़रिश्ता है, पैग़म्बर है, राष्ट्र की नैया का खेवैया है।
     इन्दिरा ने देखा और उसका चेहरा चमकने लगा।
     राष्ट्र का सेवक नीची जात के नौजवान को मंदिर में ले गया, देवता के दर्शन कराये और कहाहमारा देवता ग़रीबी में है, जिल्लत में है ; पस्ती में हैं।
     दुनिया ने कहाकैसे शुद्ध अन्त:करण का आदमी है ! कैसा ज्ञानी !
     इन्दिरा ने देखा और मुस्करायी।
     इन्दिरा राष्ट्र के सेवक के पास जाकर बोली श्रद्धेय पिता जी, मैं मोहन से ब्याह करना चाहती हूँ।
     राष्ट्र के सेवक ने प्यार की नजरों से देखकर पूछामोहन कौन हैं?
     इन्दिरा ने उत्साह-भरे स्वर में कहामोहन वही नौजवान है, जिसे आपने गले लगाया, जिसे आप मंदिर में ले गये, जो सच्चा, बहादुर और नेक है।
     राष्ट्र के सेवक ने प्रलय की आंखों से उसकी ओर देखा और मुँह फेर लिया।
-प्रेम चालीसा से

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